उठ जाग मानुष लिख भाग्य तेरा ।।Uth Jag manush likh bhagy tera
प्रातः का सुंदर समय नई योजनाएँ बनाने का होता है। सुबह की किरण जीवन में नया उत्साह भर देती है। ऐसे सुंदर समय को सो कर खोना उचित नहीं है। प्रातः नव जागरण, नव उत्साह का समय है। सुबह उठ कर कार्य करने की प्रेरणा देती एक कविता:उठ जाग मानुष लिख भाग्य तेरा;
उड़ चले विहग भोर का गीत गाने।
बह उठी हवा नूतन राग ताने।।
नई किरण लाई नया सवेरा।
उठ जाग मानुष लिख भाग्य तेरा।।
पंछियों ने गगन में पंख खोले।
मृदु मधु मधूप मधुवन में घोले।।
नव तूलिका से सृष्टि ने रंग उकेरा ।
उठ जाग मानुष लिख भाग्य तेरा ।।
रश्मि रथी ने रंग चहुं दिश बिखेरा।
ले अंगड़ाइयां जागी धरा भागा अंधेरा।
त्याग तंद्रा तोड़ शिथिलता का घेरा ।
उठ जाग मानुष लिख भाग्य तेरा ।।
नवकांक्षा का अंतस में संचार कर।
हारे हृदय में नव्य उत्साह भर ।।
अभिनव सृजन का बन जा चितेरा।
उठ जाग मानुष लिख भाग्य तेरा।।
मौलिक रचना; कुसुम लता जोशी
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