रंग-बिरंगे फूल(कविता)
बच्चों को कविताएँ गाना बहुत पसंद होता है। गा कर सीखने से जल्दी याद भी हो जाता है । इसीलिए छोटे बच्चों के लिए रंग-बिरंगे फूलों पर यहाँ दो कविताएँ दी गई हैं , हमें विश्वास से इनसे बच्चों का भाषा ज्ञान तो बढ़ेगा ही प्रकृति- प्रेम और काव्य में रुचि भी जागेगी ।
रंग-बिरंगे फूल (कविता एक)
बगिया
सजी रंग-बिरंगे फूल,
मधुवन
बनी जगत की धूल।
बनते
हैं सपने, भर जाते आँखें,
हर
बार नया रंग चढ़ता है मन में।
बगिया
सजी रंग-बिरंगे फूल,
होंगे
इसमें कितने ही काँटे और शूल।
आओ
इनसे सीखें दुख को हराना,
हँसते-हँसते दुख सारे पी जाना।
बगिया
सजी रंग-बिरंगे फूल
संग-संग
झूमे, खिलते हुए फूल।
इनसे
सीखो संग मिलजुल कर रहना।
भेदभाव छोड़ एक हो जाना ।
बगिया
सजी रंग-बिरंगे फूल,
प्रकृति
की छाँव में खिले ये फूल,
कहते तुमसे न छोड़ो कोई सपना अधूरा,
दृढ़-निश्चय से होगा हर प्रण पूरा।
कवयित्री : कुसुम लता जोशी
रंग-बिरंगे फूल (कविता दो)
रंग-बिरंगे फूल खिले बगिया में,
हर मौसम के साथ जीवन के रंग बढ़ाते।
सौंधी खुशबू से महकते जग में,
मन को भाते हैं, बहुत लुभाते।
आंधी से झड़ते हैं, तो बहारों में,
नए रंगों से, नवीन रूप धारते।
सृष्टि के रंगीन, सृजन में,
बसंती फूलों से, सुंदरता बिखराते।
अपनी सुषमा से उमंग भरते जीवन में ,
प्रफुल्लित मन को उत्साह दिलाते।
हँसते- खिलखिलाते उपवन में
रंग-बिरंगे फूल, नूतन बसंत ले आते
कवयित्री : कुसुम लता जोशी
No comments:
Post a Comment