Saturday, September 7, 2024

महर्षि व्यास और महाभारत का लेखन

महर्षि व्यास और महाभारत का लेखन ( कथा)

गणेश जी की कृपा दर्शाती एक कहानी

गणेश जी की कृपा और उनकी बुद्धिमत्ता के कई किस्से भारतीय संस्कृति में प्रसिद्ध हैं। उन्हीं में से एक प्रेरणादायक कथा है जो यह बताती है कि किस प्रकार भगवान गणेश ने अपनी चतुराई और कृपा से  वेदव्यास की मदद की और इस प्रकार पूरे जगत का कल्याण किया।

 महर्षि व्यास और महाभारत का लेखन 



यह कहानी उस समय की है जब महाभारत का रचनाकाल प्रारंभ होने वाला था। महर्षि व्यास ने महाभारत की रचना की थी, लेकिन उनकी समस्या यह थी कि इस विशाल महाकाव्य को लिखने के लिए उन्हें एक ऐसा सहायक चाहिए था जो उनकी गति के साथ-साथ लेखन कर सके। यह कार्य बहुत महत्वपूर्ण था, क्योंकि महाभारत में जीवन के हर पहलू का ज्ञान समाहित था और इसे लिखने वाला व्यक्ति अत्यधिक बुद्धिमान और निपुण होना चाहिए था।

महर्षि व्यास ने कई देवताओं से सहायता मांगी, लेकिन कोई भी उनके अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरा। अंततः, उन्होंने भगवान ब्रह्मा से परामर्श किया। भगवान ब्रह्मा ने उन्हें सलाह दी कि केवल भगवान गणेश ही यह कार्य कर सकते हैं। गणेश जी बुद्धि और विवेक के प्रतीक माने जाते हैं, और उनकी लेखनी इतनी तेज़ थी कि वे महर्षि व्यास की गति का अनुसरण कर सकते थे।

महर्षि व्यास ने भगवान गणेश की पूजा की और उनसे महाभारत लिखने का आग्रह किया। भगवान गणेश ने यह शर्त रखी कि वे केवल तभी लिखेंगे जब महर्षि बिना रुके बोलते जाएंगे। यदि महर्षि व्यास एक क्षण के लिए भी रुकते हैं, तो गणेश जी लेखन बंद कर देंगे। यह शर्त महर्षि के लिए चुनौतीपूर्ण थी, क्योंकि महाभारत का आकार और गहराई बहुत विशाल थी।

महर्षि व्यास ने यह शर्त स्वीकार कर ली, लेकिन एक चालाकी भरी शर्त खुद भी रख दी। उन्होंने गणेश जी से कहा कि वे केवल तभी लिखें जब वे पूरी तरह से समझ लें कि क्या लिखा जा रहा है। गणेश जी ने भी यह शर्त स्वीकार कर ली। इसके बाद महाभारत का लेखन प्रारंभ हुआ।

महर्षि व्यास ने अपनी बुद्धिमत्ता से गणेश जी को बीच-बीच में उलझाने के लिए कुछ गूढ़ श्लोक रचे। उन गूढ़ श्लोकों को समझने में गणेश जी को थोड़ी देर लगती थी, जिससे महर्षि व्यास को सोचने और अगली पंक्ति तैयार करने का समय मिल जाता था। इस प्रकार, महाभारत का विशाल ग्रंथ धीरे-धीरे लिखा गया।

इस पूरी प्रक्रिया के दौरान गणेश जी ने न केवल अपनी बुद्धिमत्ता से व्यास जी का साथ दिया, बल्कि उन्होंने इस महान ग्रंथ को सुचारू रूप से पूरा करवाया। उनकी कृपा और उनके सहयोग के बिना, महाभारत का लेखन इतना सहज नहीं हो पाता।

शिक्षा

इस कथा से हमें कई महत्वपूर्ण शिक्षाएं मिलती हैं। पहली यह कि गणेश जी को बुद्धि, विवेक और शुभारंभ का प्रतीक माना जाता है। जब भी हम कोई नया कार्य शुरू करते हैं, गणेश जी की पूजा की जाती है ताकि कार्य में किसी प्रकार की बाधा न आए। दूसरी यह कि हर समस्या का समाधान बुद्धिमत्ता और धैर्य से संभव है। महर्षि व्यास ने अपनी चतुराई से गणेश जी को व्यस्त रखा और समय प्राप्त किया। तीसरी यह कि कठिन परिस्थितियों में भी सही मार्गदर्शन और सहयोग से असंभव कार्य भी संभव हो जाता है।

भगवान गणेश की कृपा से न केवल महाभारत का रचना कार्य पूर्ण हुआ  यह कथा हमें यह भी सिखाती है कि कठिनाइयों से जूझते समय हमें धैर्य और विवेक का पालन करना चाहिए। जब भगवान गणेश का साथ हो, तो हर कार्य सफल हो जाता है।

गणेश जी की कृपा

गणेश जी की कृपा उन पर हमेशा रहती है जो उन्हें सच्चे मन से याद करते हैं। उनका एक और नाम 'विघ्नहर्ता' भी है, यानी वे जो सभी बाधाओं को दूर करते हैं। जब भी कोई नया कार्य आरंभ होता है, तो गणेश जी की पूजा की जाती है ताकि उस कार्य में किसी प्रकार की रुकावट न आए। उनकी बुद्धि और आशीर्वाद से हर कार्य सफलतापूर्वक पूरा हो जाता है।


BATUNI KACHHUA//बातूनी कछुआ

 BATUNI KACHHUA//बातूनी कछुआ

किसी तालाब में एक बातूनी कछुआ रहता था। उसी तालाब के किनारे दो हंस भी रहते थे। वे तीनों आपस में मित्र थे। एक बार बहुत गरमी हो गई। तालाब का पानी सूखने लगा। दोनों हंस दूसरे तालाब पर उड़कर जाने के लिए तैयार हो गए।उन्हें देखकर कछुआ भी तैयार हो गया, लेकिन कछुआ उड़ नहीं सकता। तालाब दूर था। कछुए ने उपाय बताया कि दोनों हंस अपनी चोंच में एक लकड़ी के सिरों को पकड़ लेंगे और वह उस लकड़ी को अपने मुँह से पकड़ लेगा, जिससे तीनों मित्र एक साथ एक ही तालाब पर रहेंगे। हंसों ने कहा कि उपाय तो अच्छा है, लेकिन बातूनी होने के कारण तुम रास्ते में बात न करने लगना नहीं तो तुम नीचे गिरकर मर जाओगे। कछुए ने कहा कि वह मूर्ख नहीं है वह अपने पैर पर स्वयं कुल्हाड़ी क्यों मारेगा

आखिर दोनों हंस अपने बातूनी दोस्त कछुए को ले जाने को तैयार हो गए। लेकिन उन्होंने कछुए को कसम दिलाई कि वह रास्ते में कुछ भी नहीं बोलेगा। योजना के अनुसार दोनों हंसों अपनी चोंच में एक लकड़ी के सिरों को पकड़ ली और कछुआ बीच में लकड़ी पकड़ कर लटक गया। दोनों हंस दूसरे तालाब की ओर उड़ चले। रास्ते में कुछ लोगों ने कछुए को हंसों के साथ उड़ते देखा। एक आदमी बोला कि यह कछुआ हंसों के साथ उड़ रहा है। दूसरे ने कहा,”नहीं, कछुए उड़ते नहीं है। लगता है आज ये दोनों हंस कछुए को अपने घर पार्टी पर ले जा रहे हैं।“ यह सुनकर तीसरा आदमी हँसता हुआ बोला,”अरे! ये लोग कछुए को पार्टी पर ले जा नहीं ले जा रहे, बल्कि कछुए को खा कर ही पार्टी मनाएंगे।“ इतना सुनते ही कछुआ गुस्से में आ कर जोर से चिल्लाया। कछुआ के बोलते ही उसका मुँह खुल गया पड़ा और लकड़ी छूट गई। नीचे गिरते ही कछुआ अपनी जान से हाथ धो बैठा। हमें कभी भी फालतू  नहीं बोलना चाहिए।सदा अपने लक्ष्य की तरफ़ ही ध्यान देना चाहिए।

Wednesday, September 4, 2024

किसी पर्यटन स्थल जाने की योजना बनाते हुए दो मित्रों के बीच संवाद लेखन

किसी पर्यटन स्थल जाने की योजना बनाते हुए दो मित्रों के बीच संवाद लेखन

WRITING A DIALOGUE BETWEEN TWO FRIENDS PLANNING TO VISIT A TOURIST DESTINATION 


उदाहरण 1 किसी पर्यटन स्थल जाने की योजना बना रहे दो मित्रों के बीच संवाद लेखन

मित्र 1: अरे यार, ये छुट्टियाँ आने वाली हैं। कुछ योजना बनाते हैं घूमने के लिए।

मित्र 2: हां, बिल्कुल! मैं भी यही सोच रहा था। कहां चलें इस बार?

मित्र 1: क्या ख्याल है तुम्हारा शिमला जाने का? वहां का मौसम इस समय बहुत अच्छा होगा।

मित्र 2: शिमला तो बहुत बढ़िया है। लेकिन वहाँ पिछले बार भी गए थे।  क्यों ना इस बार मनाली चलते हैं? मैंने सुना है, वहां भी बहुत सुंदर जगहें हैं और एडवेंचर स्पोर्ट्स भी होते हैं।

मित्र 1: वाह! मनाली का आइडिया तो और भी अच्छा है। हम ट्रेकिंग कर सकते हैं, और अगर बर्फ हो तो स्कीइंग भी।

मित्र 2: सही कहा। और वहां के रोहतांग पास को भी देखने का मजा ही कुछ और होगा।

मित्र 1: बिल्कुल, और साथ में हम सोलांग वैली भी जा सकते हैं। मैंने सुना है वहां पैराग्लाइडिंग होती है।

मित्र 2: बहुत अच्छा रहेगा। वैसे तुमने होटल या रहने की व्यवस्था के बारे में सोचा है?

मित्र 1: हां, मैंने ऑनलाइन कुछ अच्छे होटल्स देखे हैं। हम पहले ही बुक कर लेंगे ताकि कोई परेशानी न हो।

मित्र 2: हां, ये सही रहेगा| कैसे जाएंगे ट्रेन  से या बस से ?

मित्र 1: अगर हम ट्रेन से जाएं तो सफर आरामदायक होगा, और रास्ते में भी बहुत सी सुंदर जगहें देखने को मिलेंगी।

मित्र 2: हां, ट्रेन से ही सही रहेगा। तो फिर इस सप्ताहांत पर ट्रेन की टिकट बुक कर लेते हैं।

मित्र 1: ठीक है, मैं कल ही टिकट बुक कर लेता हूं। और हम क्या-क्या सामान ले जाएं, उसकी भी सूची बना लेते हैं।

मित्र 2: हां, और मैं तो ढेर सारी तसवीरें लुँगा। बचपन से ही मुझे फोटोग्राफ़ी का शौक है।  

मित्र 1: अगर ये बात है तो बढ़िया कैमरा साथ जरूर ले लेना। लगता है कि यह यात्रा बहुत मजेदार होगी!

मित्र 2: हां यार, मैं भी बहुत उत्साहित हूं। चलो फिर, सब तैयारी कर लेते हैं।

मित्र 1: चलो, मिलते हैं फिर!

उदाहरण 2 किसी पर्यटन स्थल जाने की योजना बना रहे दो मित्रों के बीच संवाद लेखन

मित्र 1: छुट्टियाँ आ रही हैं, क्या सोच रहे हो? कहीं घूमने चलें?

मित्र 2: हां, बिलकुल! काफी समय से योजना बना रहा था।वैसे तुम्हारा कहां जाने का मन है?

मित्र 1: मेरे ख्याल से उदयपुर चलते हैं। वहाँ की झीलें और महल देखने लायक हैं।

मित्र 2: हां, उदयपुर अच्छा ऑप्शन है। लेकिन अगर हम जयपुर चले जाएं तो? वहाँ के किले और बाजार भी तो बहुत मशहूर हैं।

मित्र 1: जयपुर भी बढ़िया रहेगा। हवा महल और आमेर का किला देखने का मौका मिलेगा। साथ  ही वहां का राजस्थानी खाने का ज़ायका भी  ले सकते हैं।

मित्र 2: हां, और साथ ही हम जोधपुर या जैसलमेर भी घूम सकते हैं। इन जगहों पर भी बहुत कुछ देखने को मिलेगा।

मित्र 1: अच्छा  विचार है। वैसे हम दोनों ही शहरों में भी घूम सकते हैं। पहले जयपुर और फिर जोधपुर, वहां से जैसलमेर भी हो आएंगे।

मित्र 2: सही कहा। मैं तो आराम से हर जगह घूमना चाहता हूँ। तुम कितने दिन की योजना बना रहे थे?

मित्र 1: मैं तो सोच रहा था 7-8 दिनों में आराम से घूमेंगे ताकि कोई भी जगह छूट न जाए। 

मित्र 2: हां, ये ठीक रहेगा। फिर हम जल्दी से होटल बुक कर लेते हैं, कहीं बाद में दिक्कत न हो।

मित्र 1: हां, और फ्लाइट की टिकट भी एडवांस में बुक कर लेते हैं। ्मैं आने-जाने में ज्यादा समय बरबाद नहीं करना चाहता। 

मित्र 2: बिल्कुल, फ्लाइट ही ठीक रहेगा। मैं आज ही टिकट बुक कर लेता हूं।

मित्र 1:  इस बार खूब सारी तसवीरें खींचुंगा और इंस्टाग्राम में अपलोड कर दुँगा। 

मित्र 2: बिलकुल! चलो, फिर तैयारियों में जुट जाते हैं। ये यात्रा बहुत मजेदार होगी।

मित्र 1: हां, मैं भी बहुत उत्साहित हूं। चलो, तैयारियाँ शुरु करें। 

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Saturday, August 31, 2024

गर्मी के मौसम में पेयजल की समुचित व्यवस्था के लिए जल विरण निगम कार्यालय को टैंकर भिजवाने हेतु पत्र लिखिए।

गर्मी के मौसम में पेयजल की समुचित व्यवस्था के लिए जल वितरण निगम कार्यालय को टैंकर भिजवाने हेतु पत्र लिखिए।

नमूना 1

द्वारा
नागरिक समिति
आर.टी. नगर,
 बेंगलुरु-560032


दिनांक: 24/08/20XX 

सेवा में,

कार्यकारी अधिकारी,
जल वितरण निगम,
बेंगलुरु, कर्नाटक।


विषय: गर्मी के मौसम में पेयजल की समुचित व्यवस्था हेतु टैंकर भेजने के संबंध में।

महोदय,

सविनय निवेदन है कि हमारे क्षेत्र में गर्मी के मौसम में पेयजल की भारी कमी हो गई है। इस समस्या के कारण यहाँ के निवासियों को पीने के पानी की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। अत्यधिक गर्मी के कारण प्राकृतिक जल स्रोत भी सूख चुके हैं, जिससे स्थिति और भी विकट हो गई है।

अतः आपसे अनुरोध है कि आप हमारे क्षेत्र में पेयजल की समुचित व्यवस्था हेतु जल टैंकर भिजवाने की कृपा करें, जिससे यहाँ के निवासियों को इस कठिनाई से निजात मिल सके। आपका यह सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण होगा और हम इसके लिए आपके आभारी रहेंगे।

धन्यवाद सहित,


प्रेषक

क.ख.ग

अध्यक्ष
आर.टी. नगर, बेंगलुरु
98432 0XXXX 

हस्ताक्षर(  ...........)


नमूना 2

द्वारा
अ. ब. स. सोसायटी
चौकन्नाहल्ली,
 बेंगलुरु-560077


दिनांक: 24/08/20XX 

सेवा में,

कार्यकारी अधिकारी,
जल वितरण निगम,
बेंगलुरु, कर्नाटक।


विषय: गर्मी के मौसम में पेयजल की समुचित व्यवस्था हेतु टैंकर भेजने के संबंध में।

महोदय,

सविनय निवेदन है कि हमारी अ. ब. स. सोसायटी ,चौकन्नाहल्ली, में गर्मी के मौसम में पेयजल की भारी कमी हो गई है।  सोसायटी में उपलब्ध जल संचार सुविधाएँ  सोसायटी की जल आपूर्ति को  पूरा कर पाने में असमर्थ हैं। इस कारण  यहाँ के निवासियों को पेयजल की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। जिससे यहाँ के निवासियों को गंभीर असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।साथ ही लोगों के दैनिक जीवन के कार्य-कलाप और व्यवसाय पर भी बुरा असर हुआ है। 

अतः आपसे अनुरोध है कि जब तक पेयजल का कोई अन्य समाधान नहीं निकलता , कृपया हमारी सोसायटी में पेयजल की आपूर्ति सुचारु रखने के लिए हेतु जल टैंकर भिजवाने की कृपा करें, जिससे यहाँ के निवासियों को इस कठिनाई से छुटकारा मिले।आपका यह सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण होगा और हम इसके लिए आपके आभारी रहेंगे।

हम सभी सोसायटी निवासियों को आशा ही अपितु पूरा विश्वास है कि आप इस समस्या के समाधान हेतु त्वरित कार्यवाही करेंगे। 

धन्यवाद सहित,


भवदीय 

क.ख.ग

अध्यक्ष

अ. ब. स. सोसायटी
चौकन्नाहल्ली, बेंगलुरु-560077

ph. 98432 0XXXX 

हस्ताक्षर(  ...........)



प्रधानाचार्या को फीस माफ़ी के लिए प्रार्थना पत्र

 

प्रधानाचार्या को फीस माफ़ी के लिए प्रार्थना पत्र



उत्तर:

परीक्षा भवन
क.ख.ग. नगर
बेंगलुरु, कर्नाटक -5600XX

दिनांक -XX/08/20XX

सेवा में
श्रीमान प्रधानाचार्य जी,
उच्च माध्यमिक विद्यालय,
क.ख.ग. नगर
बेंगलुरु, कर्नाटक -5600XX

विषय – छात्रवृत्ति प्राप्त करने के लिए प्रार्थना पत्र

मान्यवर,
सविनय निवेदन इस प्रकार है कि मैं 10वीं कक्षा का छात्र हूं। मैं सदा विद्यालय में अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण होता रहा हूं। पिछले कई वर्षों से मैं लगातार प्रथम आ रहा हूं। इसके अलावा मैं भाषण प्रतियोगिता, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में कई बार विद्यालय के लिए जोनल एवं राष्ट्रीय स्तर पर इनाम जीत कर लाया हूं। खेलकूद में भी मेरी गहन रुचि है। मैं स्कूल की थ्रो बॉल टीम का कप्तान भी हूं। मैं इस खेल के लिए राज्य स्तर पर चयनीत भी हुआ हूँ। ~

महोदया, अत्यंत दुख के साथ आपको बताना पड़ रहा है कि मेरे पिताजी एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए हैं जिसके कारण अभी उनका सिटी अस्पताल में इलाज चल रहा है। ऐसी स्थिति में घर की आर्थिक स्थिति डगमगा गई है।घर में पिताजी ही एकमात्र कमाने वाले हैं और माताजी गृहणी हैं । इन परिस्थितियों में मेरा परिवार विद्यालय का मासिक शुल्क देने में असमर्थ हैं। आपसे निवेदन है कि मुझे इस वर्ष मेरी मासिक फ़ीस माफ़ करने की कृपा करें, ताकि मुझे अपनी पढ़ाई बीच में ही न छोड़नी पड़े ।

यह फ़ीस माफ़ी आपकी मेरे प्रति विशेष अनुकंपा होगी। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि मैं पूरी मेहनत से पढूंगा और अपने स्कूल का नाम रोशन करूंगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य/शिष्या 
नाम……..
कक्षा…..
अनुक्रमांक…..
दिनांक…..

उत्तर:

परीक्षा भवन
क.ख.ग. नगर
बेंगलुरु, कर्नाटक -5600XX

दिनांक -XX/08/20XX

सेवा में
श्रीमान प्रधानाचार्य जी,
उच्च माध्यमिक विद्यालय,
क.ख.ग. नगर
बेंगलुरु, कर्नाटक -5600XX

विषय: आर्थिक स्थिति के कारण फीस माफी के लिए प्रार्थना पत्र।

माननीय महोदया,

सविनय निवेदन है कि मैं कक्षा 10वीं का छात्र/छात्रा हूँ। मेरे पिता/अभिभावक की आर्थिक स्थिति वर्तमान समय में अत्यंत दयनीय है। परिवार की आय का स्रोत सीमित है, और इस कारण हमारे परिवार के लिए मेरी शिक्षा का खर्च वहन करना अत्यंत कठिन हो रहा है।

मैं पढ़ाई में हमेशा अच्छा प्रदर्शन करता/करती हूँ और आगे भी अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहता/चाहती हूँ। किन्तु वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए, मेरे लिए स्कूल की फीस जमा करना असंभव हो गया है।

अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि कृपया मेरी फीस माफ की जाए, जिससे मैं अपनी पढ़ाई जारी रख सकूं। मैं आपके इस सहयोग के लिए सदैव आभारी रहूंगा/रहूंगी।

आपकी अति कृपा होगी।

धन्यवाद।

आपकी आज्ञाकारी छात्र/छात्रा ,

अमर/आशा 

कक्षा: 10वीं ब

रोल नंबर:  

Friday, August 16, 2024

मीठी बोली पर दोहे // MEETHI BOLI PAR DOHE

  मीठी बोली पर दोहे // MEETHI BOLI PAR DOHE

मीठी बोली का मतलब है वह भाषा या शब्दावली जो मधुर, विनम्र, और स्नेहपूर्ण होती है। जब हम मीठी बोली का प्रयोग करते हैं, तो यह हमारे व्यक्तित्व की अच्छाई और दूसरों के प्रति हमारा सम्मान दर्शाती है। ऐसी भाषा से न केवल हमारे संबंधों में सुधार होता है, बल्कि दूसरों के दिलों में हमारे प्रति आदर और स्नेह भी बढ़ता है। मीठी बोली से हम कठिन से कठिन बात भी सहजता से कह सकते हैं, जिससे संवाद में किसी भी तरह की गलतफहमी या विवाद की संभावना कम हो जाती है। वास्तव में, मिठी बोली का उपयोग न केवल व्यक्तिगत जीवन में बल्कि व्यावसायिक और सामाजिक जीवन में भी महत्वपूर्ण है




हमारे कवियों ने भी मीठी बोली पर अनेक कविताएँ और दोहे लिखे हैं । आज हम कबीर दास जी के 
कुछ चुने हुए दोहे यहाँ संकलित कर रहे हैं  जिनमें मीठी बोली का गुण-गान गाया गया है। 

 मीठी बोली पर  कबीर दास  के दोहे--

कागा का को धन हरे, कोयल का को देय ।
मीठे वचन सुना के, जग अपना कर लेय ।
कबीर दास जी कहते हैं कि कौआ किसी का धन नहीं चुराता फिर भी कौआ लोगों को पसंद नहीं होता। वहीँ कोयल किसी को धन नहीं देती लेकिन सबको अच्छी लगती है। ये फर्क है बोली का – कोयल मीठी बोली से सबके मन को हर लेती है।

ऐसी बानी बोलिये , मन का आपा खोय।
औरन को सीतल करे, आपहुं सीतल होय॥

कबीर दास जी हमें यह समझाते हैं कि हमेशा ऐसी भाषा बोलने चाहिए जो सामने वाले को सुनने से अच्छा लगे और उन्हें सुख की अनुभूति हो और साथ ही खुद को भी आनंद का अनुभव हो।

कुटिल वचन सबतें बुरा, जारि करै सब छार॥
​साधु वचन जल रुप है, बरसै अमृत धार॥

कुटिल वचन सबसे अधिक बुरे होते हैं क्योंकि ये सुनने वाले के हृदय को इतना कष्ट देते हैं कि उनका पूरा बदन ही जल कर राख समान होने लगता है। अर्थात अत्यधिक कष्टकारी होते हैं। जबकि मधुर वचन शीतल जल की तरह हैं और जब बोले जाते हैं तो ऐसा लगता है कि अमृत बरस रहा है।

खोद-खोद धरती सहै, काट-कूट बनराय |

कुटिल बचन साधू सहै, और से सहा न जाय ||

धरती को कितना ही खोदो, यह चुपचाप सहन कर लेती है | पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाओ, ये सारे वार हँसकर सह लेते हैं | इसी प्रकार दुष्टों की कुटिल और कठोर बातें केवल साधु-संत ही सह सकते हैं, सामान्य जन में उन्हें सहने की शक्ती नहीं होति |

मधुर वचन है औषधि, कटुक वचन है तीर।
श्रवण द्वार होइ संचरै, सालै सकल शरीर।।

कबीर दास जी कहते हैं कि मधुर बोली उस दवा की तरह हैं जो रोग का निदान करते हैं और कड़वे वचन तीर की तरह होते हैं जो सीधे दिल पर वार करते हैं। कबीर कहते हैं कि हमारे द्वारा बोले गए शब्द कान के द्वार से शरीर में प्रवेश कर उसे प्रभावित करते हैं। अतः सकारात्मक विचार पाने/देने के लिए वाणी में माधुर्य आवश्यक है।

शीतल शब्द उच्चरिये, अहम मानिये नही
तेरा प्रीतम तुझमे है, दुश्मन भी तुझ माही।

कबीर दास जी कहते हैं कि हमें अहंकार का त्याग कर मधुर और शीतल शब्द ही बोलने चाहिए। क्योंकि तेरा ईश्वर और तेरा दुश्मन  दोनों ही तेरे भीतर मौजूद हैं। जब हम मधुर वचन बोल्रहे होते हैं तो हम उस ईश्वर के साक्षी होते हैं और कड़वे वचन द्वारा हम अपने दूश्मन बना लेते हैं । कटु बोली के रूप में हमारा दुश्मन हमारे ही भीतर विद्यमान है।  



Wednesday, August 14, 2024

मीठी बोली/ Meethi Boli

मीठी बोली/ Meeth Boli (अनुच्छेद)



अनुच्छेद(1)

मीठी बोली एक ऐसी शक्ति है, जो व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारने के साथ-साथ समाज में उसकी पहचान को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। मीठी बोली न केवल दूसरों के दिलों में जगह बनाती है, बल्कि कठिन परिस्थितियों को सरल और सौम्य बना देती है। जब हम किसी से मधुरता से बात करते हैं, तो न केवल सामने वाले व्यक्ति को अच्छा महसूस होता है, बल्कि आपसी संबंध भी मजबूत होते हैं।

मीठी बोली का प्रभाव केवल व्यक्तिगत जीवन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और व्यावसायिक जीवन में भी सफलता का एक महत्वपूर्ण आधार है। जब हम अपने सहकर्मियों, ग्राहकों, या किसी अन्य व्यक्ति से मधुर और विनम्रता से बात करते हैं, तो वे हमें अधिक सम्मान और विश्वास से देखते हैं। इसके विपरीत, कठोर और असभ्य भाषा नकारात्मकता फैलाती है और संबंधों में दरार डाल सकती है।

मीठी बोली का अभ्यास हमें संयम, धैर्य, और करुणा का पाठ पढ़ाता है। यह हमें यह सिखाता है कि कैसे कठिन परिस्थितियों में भी शांति बनाए रखी जा सकती है और दूसरों के प्रति सहानुभूति का प्रदर्शन किया जा सकता है। मीठी बोली से न केवल दूसरों के दिलों में अपनी जगह बनाई जा सकती है, बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक वातावरण का निर्माण किया जा सकता है।

कहा भी गया है-

कागा काका धन हर लेता, कोयल काको दे देती।
केवल मीठे बोल सुना कर सबके मन को हर लेती। 

अतः, मीठी बोली एक गुण है, जिसे हमें अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाना चाहिए। इससे न केवल हमारे संबंधों में मधुरता आएगी, बल्कि हमारे व्यक्तित्व का भी विकास होगा।

 

अनुच्छेद(2)

मीठी बोली का जीवन में बहुत बड़ा महत्व है। यह केवल शब्दों का संयोजन नहीं, बल्कि दूसरों के प्रति हमारे व्यवहार और दृष्टिकोण का प्रतिबिंब है। जब हम किसी से मधुरता से बात करते हैं, तो यह हमारे भीतर की विनम्रता, संवेदनशीलता और करुणा को दर्शाता है। मीठी बोली न केवल संबंधों को सुदृढ़ बनाती है, बल्कि यह हमारे व्यक्तित्व को भी निखारती है।

कहा जाता है कि शब्दों में बहुत ताकत होती है; ये रिश्ते बना भी सकते हैं और बिगाड़ भी सकते हैं। जब हम दूसरों से प्यार और सम्मान के साथ बात करते हैं, तो इसका सकारात्मक प्रभाव सामने वाले व्यक्ति पर पड़ता है, और एक सुदृढ़ संबंध की नींव रखी जाती है। इसके विपरीत, कठोर और तीखे शब्द लोगों के दिलों को चोट पहुंचा सकते हैं और संबंधों में दूरी ला सकते हैं।

मधुर वचन है औषधि, कटुक वचन है तीर।
श्रवण द्वार होइ संचरै, सालै सकल शरीर।।

मीठी बोली का उपयोग करके हम अपने जीवन में खुशियाँ और सौहार्द्रता ला सकते हैं। चाहे वह परिवार में हो, मित्रों के बीच हो, या कार्यस्थल पर, मीठी बोली का महत्व हर जगह है। यह न केवल वातावरण को सकारात्मक बनाती है, बल्कि तनाव और संघर्ष को भी कम करती है। मीठी बोली से विवादों को हल करना और दूसरों के दिलों को जीतना आसान हो जाता है।

अतः, हमें हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम किस प्रकार के शब्दों का चयन करते हैं, क्योंकि मीठी बोली हमारे जीवन को सुगंधित और संबंधों को सुदृढ़ बनाने का माध्यम है।

अनुच्छेद(3)

मीठी बोली का महत्व जीवन के हर क्षेत्र में अत्यधिक है। यह न केवल हमारे विचारों को व्यक्त करने का तरीका है, बल्कि यह हमारे व्यक्तित्व और संबंधों को भी आकार देती है। जब हम किसी से मीठी बोली में बात करते हैं, तो यह न केवल उस व्यक्ति को सम्मानित करता है, बल्कि उनके मन में हमारे प्रति सकारात्मक भावनाएँ भी पैदा करता है। एक विनम्र और मधुर शब्दावली से संवाद करने से बातचीत में सौहार्द्रता बनी रहती है और आपसी समझ को बढ़ावा मिलता है।

मीठी बोली का प्रभाव केवल व्यक्तिगत जीवन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कार्यस्थल पर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जब हम अपने सहकर्मियों और ग्राहकों से मधुरता से बात करते हैं, तो यह न केवल एक सकारात्मक कार्य वातावरण बनाता है, बल्कि व्यावसायिक संबंधों को भी मजबूत करता है। लोग उन व्यक्तियों की ओर आकर्षित होते हैं जो विनम्र और सहयोगी होते हैं।

कबीर ने भी मधुर वचनों की तारीफ़ करते हुए कहा है-

ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय ।
   औरन को सीतल करै, आपहु सीतल होय।।

इसके अलावा, मीठी बोली से तनाव और विवादों का समाधान करना भी आसान होता है। कठिन परिस्थितियों में भी जब हम सौम्य भाषा का प्रयोग करते हैं, तो हम अधिक प्रभावशाली ढंग से अपनी बात रख सकते हैं। मीठी बोली से न केवल शब्दों की मिठास बढ़ती है, बल्कि यह हमारे व्यवहार में भी संवेदनशीलता और करुणा को दर्शाती है।

इस प्रकार, मीठी बोली हमारे जीवन में एक सकारात्मक बदलाव लाने का माध्यम है। यह संबंधों को सुदृढ़ बनाती है और समाज में शांति और सामंजस्य को बढ़ावा देती है। इसलिए, हमें अपने संवाद में मीठी बोली का प्रयोग करना चाहिए, ताकि हम दूसरों के दिलों में एक विशेष स्थान बना सकें।

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